बिहार के मोतिहारी जिला में मनरेगा के नाम पर भारी घोटाला , फर्जी काम और फर्जी नाम पर करोड़ों का घोटाला ,ऊँची पहुँच और रुतबा के कारण नहीं हो रही कार्रवाई


मनरेगा में भारी गड़बड़ी की संभावना , फर्जी मजदूरों और फर्जी कामों को दिखलाकर करोड़ों के घपले की आशंका । मामले का संबंध पूर्वी चंपारण के कल्याणपुर प्रखंड के मनिचाप्रा पंचायत से , इस घटना ने न केवल पुरबी चंपारण में चल रहे मनरेगा के काम और उसकी इमानदारी पर प्रश्न चिन्ह लगा दिया है बलके पुरे बिहार का मनरेगा के तेहत चल रहा काम जाँच के दाएरे में आ गया है .............!

मामला क्या है ................? पूर्वी चंपारण के कल्याणपुर प्रखंड के मनीछपरा पंचायत में जिन मनरेगा मजदूरों के नाम पर पैसा की निकासी दिखलाई गई है , उन मजदूरों का सम्बन्ध उक्त पंचायत से है ही नहीं , काम भी जिन जगहों का होते रिकॉर्ड में दर्ज हैं उसका भी संबंध उपरोक्त पंचायत से नहीं । जैसे 1.एक संजय यादव - ग्राम मधुछपरा , मस्टर रोल नंबर - 662 इनके नाम पर 2070 , A/C - 90403084 , 2. दुसरे संजय यादव - -- -- मस्टर रोल नंबर 601 दिनांक 1/4/13 से 15/4/13 तक कुल 12 दिन का 1656 रुपया का भुगतान होते दिखाया गया है । मजे की बात ये है कि एक तीसरे संजय यादव भी हैं ,जिनका मस्टर रोल नंबर 483 है मजे की एक और बात है कि सम्बंधित पंचायत के लोगों से पुछ ताछ के बाद इन तीनों संजय यादव के बारे में पता नहीं चल पा रहा ? यानी जिन तीनों संजय यादव के नाम पर पैसा उठा पहली ही नजर में फर्जी साबित हो गया है , सवाल पैदा हो रहा है के आखिर जिन तीनों संजय यादव के नाम पर पैसा उठा वह आखिर कहाँ के निवासी थे ? किस जिला ,किस ब्लॉक ,और किस पंचायत के निवासी हैं ? सवाल यह भी है कि जब इन तीनों का सम्बन्ध उपरोक्त पंचायत से था ही नहीं तो फिर काम किस ने और कैसे दिया ? क्या इन तीनों संजय यादव का अपना कोई पंचायत ही नहीं था ? क्या ये तीनों संजय यादव बगैर पंचायत के निवासी थे के उनसे मनी छपरा पंचायत में काम कराया गया ? बात यहीं पे ख़त्म नहीं है दो संजय यादव मस्टर रोल 483 , दुसरे संजय यादव जिनका मस्टर रोल नंबर 602 है से same डेट में काम लेते दिखाया गया है ( 16/4/ 13 से 30 4/ 2013 )और कुल 15 दिन की मजदूरी 2070 रुपया देते हुए दिखाया गया है ! दोनों संजय यादव को काम भी same place पर करते हुए हुए दिखाया गया है यानी गोपाल छपरा ,और जानकारों की मानें तो गोपाल छपरा मनी छपरा में पंचायत में आता ही नहीं ,जानकारों ने इस बात की पुष्टी की है । ये तो मात्र उदाहरण हैं ऐसे सैकड़ो नाम और इन फर्जी नामों पर सैकड़ों फर्जी काम काम को होते हुए दिखाया गया है । सवाल पैदा होने लगा है कि आखिर इन फर्जी नामों को दिखलाकर करोड़ों रूपये की नकासी किसने की ? कौन - कौन लोग इसमें हिस्सेदार बने ? सूत्रों की मानें तो मनरेगा के घपले के पैसे से एक घोटाले बाज़ ने इतनी कमाई की के इंट निर्माण कराने की चिमनी तक खोल दी ।और ऐसा नहीं है के बिहार सरकार के आला अधिकारी नहीं जानते , तो सवाल उठना लाजमी है कि , क्या बड़े लोगों और अधिकारियों को मिली हिस्सेदारी कार्रवाई करने से रोक रही ? अगर ऐसा नहीं तो फिर इतनी देरी क्यों ?

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